मुझे उड़ते परिंदे अच्छे लगते हैं मुझे उन की उड़ानों से नए आते हुए सब मौसमों की आहटें महसूस होती हैं मुझे उन की उड़ानें बारिशें और फूल खिलने की बशारत देने आती हैं मुझे उन की उड़ानें ज़िंदगी के रास्तों पर हौसलों का दर्स देती हैं मिरे हाथों ने हर्फ़ों के गुलाबों को इन्ही से लिखना सीखा है मगर हिजरत-ज़दा मौसम में जब कोई अकेली कूँज कर लाती हुई नीले फ़लक की वुसअतों में अपने खोए साथियों को ढूँढती आवाज़ देती है मुझे बिछड़े हुए सब याद आते हैं मिरे हाथों की पोरें लफ़्ज़ लिखना भूल जाती हैं ज़मीं पर बारिशें और सर्द यख़-बस्ता बदन को चीरती बरहम हवाएँ सब्ज़ पेड़ों में घिरे आबाद घर का रास्ता रोकें मैं तन्हा बैठ कर भीगे परिंदों के परों के ख़ुश्क होने की दुआएँ माँगता हूँ!