अजनबी बन के हँसा करती है By Qita << आब-ओ-दाना अभी पोशीदा हैं नज़रों से ... >> अजनबी बन के हँसा करती है ज़िंदगी किस से वफ़ा करती है क्या जलाऊँ मैं मोहब्बत के चराग़ एक आँधी सी चला करती है Share on: