दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत By Sher << उसी तरफ़ है ज़माना भी आज ... हवा ख़फ़ा थी मगर इतनी संग... >> दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रानाई बहुत ऐ ग़म-ए-हस्ती हमें दुनिया पसंद आई बहुत Share on: