एक दो बार तो रोकूँगा मुरव्वत में तुझे By Sher << वतन को फूँक रहे हैं बहुत ... क़सम जब उस ने खाई हम ने ए... >> एक दो बार तो रोकूँगा मुरव्वत में तुझे सैकड़ों बार तो इसरार नहीं कर सकता Share on: