है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद By Sher << नई ख़्वाहिश रचाई जा रही ह... शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग... >> है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद क़िबले को अहल-ए-नज़र क़िबला-नुमा कहते हैं the one i bow to is beyond, what knowledge can see the wise ones deem the qaaba merely to a compass be Share on: