है तमाशा-गाह-ए-सोज़-ए-ताज़ा हर यक उज़्व-ए-तन By Sher << नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ ... शिकवा-ए-ज़ुल्मत-ए-शब से त... >> है तमाशा-गाह-ए-सोज़-ए-ताज़ा हर यक उज़्व-ए-तन जूँ चराग़ान-ए-दिवाली सफ़-ब-सफ़ जलता हूँ मैं Share on: