हाजी तू तो राह को भूला मंज़िल को कोई पहुँचे है By Sher << चलो कि जज़्बा-ए-इज़हार ची... इश्क़ कर के भी खुल नहीं प... >> हाजी तू तो राह को भूला मंज़िल को कोई पहुँचे है दिल सा क़िबला छोड़ के तू ने का'बे का एहराम किया Share on: