इस बार भी दुनिया ने हदफ़ हम को बनाया By Sher << ये उजालों के जज़ीरे ये सर... ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के... >> इस बार भी दुनिया ने हदफ़ हम को बनाया इस बार तो हम शह के मुसाहिब भी नहीं थे Share on: