ज़ेहन-ओ-दिल तफ़रीक़ के क़ाइल नहीं By Sher << आबादियों में कैसे दरिंदे ... उस ने मजबूर-ए-वफ़ा जान के... >> ज़ेहन-ओ-दिल तफ़रीक़ के क़ाइल नहीं क्या करूँ अपना पराया जान कर Share on: