ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर By Sher << शख़्सियत का ये तवाज़ुन ते... जब ये माना कि दिल में डर ... >> ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे Share on: