मिरी कहानी रक़म हुई है हवा के औराक़-ए-मुंतशिर पर By Sher << सुकूत तोड़ने का एहतिमाम क... आह को चाहिए इक उम्र असर ह... >> मिरी कहानी रक़म हुई है हवा के औराक़-ए-मुंतशिर पर मैं ख़ाक के रंग-ए-ग़ैर-फ़ानी को अपनी तस्वीर कर रहा हूँ Share on: