आज 'क़ाबिल' मय-कदे में इंक़लाब आने को है By Sher << अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इ... सुकूत तोड़ने का एहतिमाम क... >> आज 'क़ाबिल' मय-कदे में इंक़लाब आने को है अहल-ए-दिल अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ तक आ गए Share on: