रक्खा है ठौर मुझ को कहरवे के नाच ने By Sher << रंग-ए-बदन से उस के ये होत... रखता है क़दम नाज़ से जिस ... >> रक्खा है ठौर मुझ को कहरवे के नाच ने कूल्हा कहीं को जावे है उस का, कमर कहीं Share on: