तेज़ हवाएँ आँखों में तो रेत दुखों की भर ही गईं By Sher << ज़िंदगानी में सभी रंग थे ... अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी >> तेज़ हवाएँ आँखों में तो रेत दुखों की भर ही गईं जलते लम्हे रफ़्ता रफ़्ता दिल को भी झुलसाएँगे Share on: