थोड़ी थोड़ी राह में पी लेंगे गर कम है तो क्या By Sher << रात बाक़ी थी जब वो बिछड़े... मैं किसी के दस्त-ए-तलब मे... >> थोड़ी थोड़ी राह में पी लेंगे गर कम है तो क्या दूर है मय-ख़ाना ये ज़ाद-ए-सफ़र शीशे में है Share on: