तिरे नज़दीक आ कर सोचता हूँ By Sher << तनख़्वाह एक बोसा है तिस प... ये महर-ओ-माह-ओ-कवाकिब की ... >> तिरे नज़दीक आ कर सोचता हूँ मैं ज़िंदा था कि अब ज़िंदा हुआ हूँ Share on: