तुझे तो कितनी बहारें सलाम भेजेंगी By Sher << ये बादशाह नहीं है फ़क़ीर ... शोहरत की रौशनी हो कि नफ़र... >> तुझे तो कितनी बहारें सलाम भेजेंगी अभी ये फूल सा चेहरा ज़रा सँभाल के रख Share on: