ये उजालों के जज़ीरे ये सराबों के दयार By Sher << देखा हुज़ूर को जो मुकद्दर... इस बार भी दुनिया ने हदफ़ ... >> ये उजालों के जज़ीरे ये सराबों के दयार सेहर-ओ-अफ़्सूँ के सिवा जश्न-ए-तरब कुछ भी नहीं Share on: