यूँ चार दिन की बहारों के क़र्ज़ उतारे गए By Sher << आ गिरा ज़िंदा शमशान में ल... रात बे-सुध हो के सोएगी यह... >> यूँ चार दिन की बहारों के क़र्ज़ उतारे गए तुम्हारे बअ'द के मौसम फ़क़त गुज़ारे गए Share on: