जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।

By January 7, 2018
जरुरत के मुताबिक जिंदगी जिओ - ख्वाहिशों के मुताबिक नहीं।
क्योंकि जरुरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है

और ख्वाहिशें बादशाहों की भी अधूरी रह जाती है।
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