मेरी जरूरत Admin सुबह सवेरे की शायरी, जुदाई << रखरखत्या उन्हात वा-याची ए... अपने हाथों की उँगलियों को >> मेरी जरूरत,मेरी ख्वाहिशमेरी दुनिया के सुबह-ओ-शाम,कितने मुश्किल, कितने अधूरे लगते तुम बिन, सारे काम…. Share on: