क्या बनाने आये थे और क्या बना बैठे कहीं मंदिर बना बैठे तो कहीं मस्जिद बना Admin मनाने के लिए शायरी, प्रेम << हमसे भुलाया ही नहीं जाता रेत पर नाम लिखते नहीं रेत... >> क्या बनाने आये थे और क्या बना बैठेकहीं मंदिर बना बैठे तो कहीं मस्जिद बना बैठेहमसे तो जात अछि उन परिंदों कीजो कभी मंदिर पे जा बैठे तो कभी मस्जिद पे जा बैठे…. Share on: