उसे दूर से ही देखता रहा
By April 18, 2018
उसे दूर से ही देखता रहा
बस यूँही वक़्त काटता रहा
न जाने क्यों निगाहे थमी रही
बस उसके चेहरे पर ही जमी रही
कभी चाँद समजके कभी चांदनी
हम उसे देखते रहे तहजीब से
पर कभी सोचा नहीं था
उसका दीदार होगा इतने करीब से।
बस यूँही वक़्त काटता रहा
न जाने क्यों निगाहे थमी रही
बस उसके चेहरे पर ही जमी रही
कभी चाँद समजके कभी चांदनी
हम उसे देखते रहे तहजीब से
पर कभी सोचा नहीं था
उसका दीदार होगा इतने करीब से।
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