ऐसे मिले नसीब से सारे ख़ुदा कि बस

By nomaan-shauqueNovember 11, 2020
ऐसे मिले नसीब से सारे ख़ुदा कि बस
मैं बंदगी के ज़ोम में चिल्ला उठा कि बस
इक खेल ने हमारा मुक़द्दर बदल दिया
वो तो हमें पुकार कर ऐसा छुपा कि बस


पहले तो इक नशे को किया सर पे ख़ुद सवार
फिर यूँ किसी ख़याल से जी हट गया कि बस
जन्नत मिलेगी उस ने कहा मोमिनीन को
जलते हुए मकान से आई सदा कि बस


नग़्मा समझ के शोर से महज़ूज़ होती भीड़
अम्बोह-ए-बेकराँ में कोई चीख़ता कि बस
59736 viewsghazalHindi