बाग़-ए-दुनिया में नज़र ग़मनाक हो कर रह गई
By akbar-allahabadiJuly 10, 2023
बाग़-ए-दुनिया में नज़र ग़मनाक हो कर रह गई
रंग बदले ख़ाक ने फिर ख़ाक हो कर रह गई
दाख़िल-ए-इस्कूल हो दुख़्तर तो कुछ हासिल करे
क्या नतीजा सिर्फ़ अगर बेबाक हो कर रह गई
वो तरक़्क़ी है कि जो कर दे शगुफ़्ता मिस्ल-ए-गुल
वो कली क्या जो गरेबाँ-चाक हो कर रह गई
रंग बदले ख़ाक ने फिर ख़ाक हो कर रह गई
दाख़िल-ए-इस्कूल हो दुख़्तर तो कुछ हासिल करे
क्या नतीजा सिर्फ़ अगर बेबाक हो कर रह गई
वो तरक़्क़ी है कि जो कर दे शगुफ़्ता मिस्ल-ए-गुल
वो कली क्या जो गरेबाँ-चाक हो कर रह गई
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