चार दिन की बहार है दुनिया
By tarif-niyaziNovember 23, 2020
चार दिन की बहार है दुनिया
मौत का इंतिज़ार है दुनिया
तू कहाँ मेरी बात समझेगा
तेरे सर पर सवार है दुनिया
ज़िंदगी जिस पे चलती रहती है
ऐसे ख़ंजर की धार है दुनिया
जीत होगी तुम्हारी नज़रों में
मेरी नज़रों में हार है दुनिया
मय-कदे जा के देखिए साहब
किस क़दर दीन-दार है दुनिया
ये तुझे क्या क़रार बख़्शेगी
जब कि ख़ुद बे-क़रार है दुनिया
कैसे कैसे को खा गई है तू
कुछ तिरा ए'तिबार है दुनिया
क्यों चलाता है रात दिन उस को
क्या कोई कारोबार है दुनिया
मौत का इंतिज़ार है दुनिया
तू कहाँ मेरी बात समझेगा
तेरे सर पर सवार है दुनिया
ज़िंदगी जिस पे चलती रहती है
ऐसे ख़ंजर की धार है दुनिया
जीत होगी तुम्हारी नज़रों में
मेरी नज़रों में हार है दुनिया
मय-कदे जा के देखिए साहब
किस क़दर दीन-दार है दुनिया
ये तुझे क्या क़रार बख़्शेगी
जब कि ख़ुद बे-क़रार है दुनिया
कैसे कैसे को खा गई है तू
कुछ तिरा ए'तिबार है दुनिया
क्यों चलाता है रात दिन उस को
क्या कोई कारोबार है दुनिया
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