जब भी गर्दिश में जाम आया है

By kiran-kashmeeriMay 31, 2022
जब भी गर्दिश में जाम आया है
रिफ़अ'तों का पयाम आया है
सर निगूँ हो रहे हैं पैमाने
फिर कोई तिश्ना-काम आया है


ज़ेहन ने जब नवेद-ए-ज़ीस्त न दी
दिल-ए-ना-काम काम आया है
भूल कर भी न आप ने पूछा
क्यों कोई ज़ेर-ए-दाम आया है


लोग कहते हैं चाँदनी शब है
कौन बाला-ए-बाम आया है
भर गया ज़िंदगी का पैमाना
आज वो भर के जाम लाया है


मेरी मंज़िल हों चाँद और तारे
ये तो सौदा-ए-ख़ाम आया है
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