जिस दिल में निहाँ उन की तस्वीर नहीं होती
By aish-meeruthiApril 21, 2021
जिस दिल में निहाँ उन की तस्वीर नहीं होती
उस दिल की हक़ीक़त में तौक़ीर नहीं होती
आँखों को तमन्ना है ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ की
ख़ाक-ए-दर-ए-हर-कूचा इक्सीर नहीं होती
रोना तो है बस उस की महरूमी-ए-क़िस्मत का
ये दौलत-ए-ग़म जिस की तक़दीर नहीं होती
क्यों जम्अ करूँ तिनके है बर्क़-ज़दा गुलशन
शो'लों में नशेमन की ता'मीर नहीं होती
ऐ 'ऐश' है फ़र्सूदा अब क़ैस का अफ़्साना
उल्फ़त तो किसी की भी जागीर नहीं होती
उस दिल की हक़ीक़त में तौक़ीर नहीं होती
आँखों को तमन्ना है ख़ाक-ए-दर-ए-जानाँ की
ख़ाक-ए-दर-ए-हर-कूचा इक्सीर नहीं होती
रोना तो है बस उस की महरूमी-ए-क़िस्मत का
ये दौलत-ए-ग़म जिस की तक़दीर नहीं होती
क्यों जम्अ करूँ तिनके है बर्क़-ज़दा गुलशन
शो'लों में नशेमन की ता'मीर नहीं होती
ऐ 'ऐश' है फ़र्सूदा अब क़ैस का अफ़्साना
उल्फ़त तो किसी की भी जागीर नहीं होती
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