कहिए अब किस से दर्द-ए-पिन्हानी
By maharaja-sir-kishan-parashad-shadSeptember 23, 2023
कहिए अब किस से दर्द-ए-पिन्हानी
इक शब-ए-हिज्र वो भी तूलानी
एक बाक़ी रहेगी उस की ज़ात
सारा आलम है आनी-ओ-फ़ानी
जाम-ए-जमशेद बे-हक़ीक़त है
साक़िया दे शराब-ए-रैहानी
दिल में उस की न होगी क्यूँकर चाह
उस का जल्वा है हुस्न-ए-कनआनी
दिल के आईने में उसे देखा
बढ़ गई और मेरी हैरानी
वहदहू-ला-शरीक-लह के सिवा
सज्दा किस को करे ये पेशानी
वो निगहबान अपना है हर दम
ख़ूब उसे आती है निगहबानी
उस के दरबार में गुज़र क्या हो
ये फ़क़ीर और बज़्म-ए-सुल्तानी
आते आते ब-मुश्किल आती है
कोई आसाँ नहीं ज़बाँ-दानी
क्या करेगा इलाज इस का मसीह
क्या सुनाऊँ मैं दर्द-ए-पिन्हानी
वही मुश्किल करेगा आसाँ 'शाद'
शादमानी में है सब आसानी
इक शब-ए-हिज्र वो भी तूलानी
एक बाक़ी रहेगी उस की ज़ात
सारा आलम है आनी-ओ-फ़ानी
जाम-ए-जमशेद बे-हक़ीक़त है
साक़िया दे शराब-ए-रैहानी
दिल में उस की न होगी क्यूँकर चाह
उस का जल्वा है हुस्न-ए-कनआनी
दिल के आईने में उसे देखा
बढ़ गई और मेरी हैरानी
वहदहू-ला-शरीक-लह के सिवा
सज्दा किस को करे ये पेशानी
वो निगहबान अपना है हर दम
ख़ूब उसे आती है निगहबानी
उस के दरबार में गुज़र क्या हो
ये फ़क़ीर और बज़्म-ए-सुल्तानी
आते आते ब-मुश्किल आती है
कोई आसाँ नहीं ज़बाँ-दानी
क्या करेगा इलाज इस का मसीह
क्या सुनाऊँ मैं दर्द-ए-पिन्हानी
वही मुश्किल करेगा आसाँ 'शाद'
शादमानी में है सब आसानी
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