खो गई चाँद की ख़ुशबू कैसे
By sajid-hameedJune 17, 2022
खो गई चाँद की ख़ुशबू कैसे
ढल गई ज़हर में कू कू कैसे
जाम-दर-जाम बहारें उतरीं
चश्म-ए-शब कर गई जादू कैसे
उस के होंटों पे था मुस्कान का रंग
उस की आँखों में थे आँसू कैसे
तेरी आँखों के सहीफ़े सारे
दफ़अ'तन बुझ गए ना-ज़ू कैसे
दिल किसी तौर सँभलता ही नहीं
इस पे पा जाऊँ मैं क़ाबू कैसे
जिन में पिन्हाँ थीं बहारें 'साजिद'
वो ख़िज़ाँ बन गए गेसू कैसे
ढल गई ज़हर में कू कू कैसे
जाम-दर-जाम बहारें उतरीं
चश्म-ए-शब कर गई जादू कैसे
उस के होंटों पे था मुस्कान का रंग
उस की आँखों में थे आँसू कैसे
तेरी आँखों के सहीफ़े सारे
दफ़अ'तन बुझ गए ना-ज़ू कैसे
दिल किसी तौर सँभलता ही नहीं
इस पे पा जाऊँ मैं क़ाबू कैसे
जिन में पिन्हाँ थीं बहारें 'साजिद'
वो ख़िज़ाँ बन गए गेसू कैसे
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