रंग-ओ-रस की हवस और बस

By ammar-iqbalJuly 19, 2023
रंग-ओ-रस की हवस और बस
मसअला दस्तरस और बस
यूँ बुनी हैं रगें जिस्म की
एक नस टस से मस और बस


सब तमाशा-ए-कुन ख़त्म शुद
कह दिया उस ने बस और बस
क्या है माबैन-ए-सय्याद-ओ-सैद
एक चाक-ए-क़फ़स और बस


उस मुसव्विर का हर शाहकार
साठ पैंसठ बरस और बस
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