तिश्नगी होंटों पे रखना और समुंदर सोचना
By israr-kafeelApril 5, 2022
तिश्नगी होंटों पे रखना और समुंदर सोचना
मुझ को पागल कर गया है एक ख़ुद-सर सोचना
होंट उस ने सी लिए तो फिर मुझे भी उम्र भर
चुप के मौसम काटना हैं और बराबर सोचना
सारे आईने सजा कर सोच की दहलीज़ पर
एक दिन मेरी तरह फिर तुम भी पत्थर सोचना
सर्द सोचों ने उसे भी कर दिया है मुंजमिद
मेरी आँखों में बसा था एक मंज़र सोचना
छाँव सब की एक सी है मुख़्तलिफ़ हैं साएबाँ
रह-गुज़र में भी उसी का साया-ए-दर सोचना
एक लम्हा काटने में उम्र सारी लग गई
उस की जानिब देखना और ज़िंदगी भर सोचना
अपने हिस्से में यही सोचें तो आई हैं 'कफ़ील'
सोचना और फ़ुर्सतों में यूँही अक्सर सोचना
मुझ को पागल कर गया है एक ख़ुद-सर सोचना
होंट उस ने सी लिए तो फिर मुझे भी उम्र भर
चुप के मौसम काटना हैं और बराबर सोचना
सारे आईने सजा कर सोच की दहलीज़ पर
एक दिन मेरी तरह फिर तुम भी पत्थर सोचना
सर्द सोचों ने उसे भी कर दिया है मुंजमिद
मेरी आँखों में बसा था एक मंज़र सोचना
छाँव सब की एक सी है मुख़्तलिफ़ हैं साएबाँ
रह-गुज़र में भी उसी का साया-ए-दर सोचना
एक लम्हा काटने में उम्र सारी लग गई
उस की जानिब देखना और ज़िंदगी भर सोचना
अपने हिस्से में यही सोचें तो आई हैं 'कफ़ील'
सोचना और फ़ुर्सतों में यूँही अक्सर सोचना
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