पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है By Sher << जूँ अक्स कहाँ मिरा ठिकाना न कोई शहर न रस्ता न सफ़र >> पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है रात ख़ैरात की सदक़े की सहर होती है Share on: