न जाने कब फिर से ये मंज़र सुहाना मिलेगा Admin खूबसूरत शायरी हिन्दी, Dosti << दोस्ती कोई खोज नहीं होती उम्मीदों को टूटने मत देना >> न जाने कब फिर से ये मंज़र सुहाना मिलेगाये खिल-खिलाती हँसी और दोस्तों का याराना मिलेगाक़ैद कर लो इन खूबसूरत लम्हों को अपनी यादों में यारोइन्ही लम्हों से हमें ज़िंदगी में रोते हुए भी हँसने का बहाना मिलेगा। Share on: