आदमी अपनी ज़ात में तन्हा आलम-ए-शश-जिहात में तन्हा ऐ ख़ुदा तू ही बे-मिसाल नहीं मैं भी हूँ काएनात में तन्हा मुझ को हर एक बात का ग़म है मैं हूँ हर एक बात में तन्हा मौत के दश्त-ए-बे-कनार में गुम शहर के हादसात में तन्हा मुझ को किस जुर्म में उतार दिया कार-ज़ार-ए-हयात में तन्हा बे-अमाँ दुश्मनों की ज़द में हूँ दहर के सोमनात में तन्हा आप-अपनी तलाश है मुझ को हूँ अजब मुश्किलात में तन्हा