आग और ख़ूँ के खेल से अब तक भरा न जी

By nomaan-shauqueFebruary 27, 2024
आग और ख़ूँ के खेल से अब तक भरा न जी
जन्नत के दा'वेदार हमारा जला न जी
किरदार मस्ख़रे का अलमिये में मिल गया
ख़ुद पर भी हँस के देख लिया ख़ुश हुआ न जी


क्या जानवर मिला था सधाया नहीं गया
जीना भी एक काम था जिस में लगा न जी
माँगी थी इक बख़ील से पूरे बदन की भीख
आँखें दिखा के रह गया कासा भरा न जी


सब 'इश्क़-रौशनी के ख़रीदार उठ गए
बाज़ार यूँ गिरा कि जलाया गया न जी
महफ़िल में वाह-वाह का वो शोर था कि बस
कम्बख़्त शा'इरी का मगर ख़ुश हुआ न जी


58077 viewsghazalHindi