आग दिल को लगे आँखों को धुआँ ले जाए

By shakeel-azmiFebruary 29, 2024
आग दिल को लगे आँखों को धुआँ ले जाए
ग़म बिछड़ने का हमें जाने कहाँ ले जाए
एक टूटे हुए पत्ते की तरह हैं हम भी
अब हवा चाहे जहाँ हम को वहाँ ले जाए


हम तिरे दुख को उठाए हुए यूँ फिरते हैं
जैसे काँधे पे कोई अपना मकाँ ले जाए
हम जो डूबें तो किनारे से न देखे कोई
और कुछ दूर हमें आब-ए-रवाँ ले जाए


कोई चेहरा है नज़र में न कोई मंज़िल है
बस चले जाएँगे ये राह जहाँ ले जाए
जाने किस वक़्त बदल जाए बहारों का समाँ
और महके हुए फूलों को ख़िज़ाँ ले जाए


जिस तरफ़ जाइए सैलाब-ज़दा है दुनिया
कोई रखने को कहाँ अपना मकाँ ले जाए
73343 viewsghazalHindi