आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा

By rajendra-nath-rahbarAugust 27, 2024
आइना सामने रखोगे तो याद आऊँगा
अपनी ज़ुल्फ़ों को सँवारोगे तो याद आऊँगा
रंग कैसा हो ये सोचोगे तो याद आऊँगा
जब नया सूट ख़रीदोगे तो याद आऊँगा


भूल जाना मुझे आसान नहीं है इतना
जब मुझे भूलना चाहोगे तो याद आऊँगा
ध्यान जाएगा बहर-हाल मिरी ही जानिब
तुम जो पूजा में भी बैठोगे तो याद आऊँगा


एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों
अब जो बरसात में भीगोगे तो याद आऊँगा
चाँदनी रात में फूलों की सुहानी रुत में
जब कभी सैर को निकलोगे तो याद आऊँगा


जिन में मिल जाते थे हम तुम कभी आते जाते
जब भी उन गलियों से गुज़रोगे तो याद आऊँगा
याद आऊँगा उदासी की जो रुत आएगी
जब कोई जश्न मनाओगे तो याद आऊँगा


शेल्फ़ में रक्खी हुई अपनी किताबों में से
कोई दीवान उठाओगे तो याद आऊँगा
शम' की लौ पे सर-ए-शाम सुलगते जलते
किसी परवाने को देखोगे तो याद आऊँगा


जब किसी फूल पे ग़श होती हुई बुलबुल को
सेहन-ए-गुलज़ार में देखोगे तो याद आऊँगा
69444 viewsghazalHindi