आज भी याद-ए-यार बाक़ी है

By aarif-akhtar-naqviApril 21, 2024
आज भी याद-ए-यार बाक़ी है
इश्क़ का ए'तिबार बाक़ी है
ज़िंदगी की रमक़ है हम में अभी
आप का इंतिज़ार बाक़ी है


यादगार-ए-जुनूँ हमारे पास
दामन-ए-तार-तार बाक़ी है
फिर रहे हैं सलीब उठाए हम
हाँ अभी वस्ल-ए-दार बाक़ी है


ये उमीदें न छीन लें हालात
बस यही इख़्तियार बाक़ी है
लफ़्ज़-ओ-मा'नी की वुस'अतों के साथ
शे'र का इख़्तिसार बाक़ी है


मर्हबा उश्शाक़ान-ए-हक़ तुम से
कुछ उमीद-ए-बहार बाक़ी है
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