आँखें हैं अश्क दिल है धुआँ घर उदास है
By isma-hadiaNovember 1, 2020
आँखें हैं अश्क दिल है धुआँ घर उदास है
तुझ बिन ऐ घर की रूह-ए-रवाँ घर उदास है
गुल-हा-ए-नौ-बहार हैं आँगन में ज़र्द ज़र्द
पेड़ों पे खिल रही है ख़िज़ाँ घर उदास है
बिर्हा बरस रही है फ़सुर्दा मुंडेर से
चिड़ियाँ हैं छत पे नौहा-कुनाँ घर उदास है
दिल को झिंझोड़ते हुए सारे अज़ीज़ लफ़्ज़
तहरीर हैं हवा में जहाँ घर उदास है
जो दश्त-ए-ज़ीस्त में मिलें बिछड़े हुए कभी
कहना कि तुम यहाँ हो वहाँ घर उदास है
तुझ बिन ऐ घर की रूह-ए-रवाँ घर उदास है
गुल-हा-ए-नौ-बहार हैं आँगन में ज़र्द ज़र्द
पेड़ों पे खिल रही है ख़िज़ाँ घर उदास है
बिर्हा बरस रही है फ़सुर्दा मुंडेर से
चिड़ियाँ हैं छत पे नौहा-कुनाँ घर उदास है
दिल को झिंझोड़ते हुए सारे अज़ीज़ लफ़्ज़
तहरीर हैं हवा में जहाँ घर उदास है
जो दश्त-ए-ज़ीस्त में मिलें बिछड़े हुए कभी
कहना कि तुम यहाँ हो वहाँ घर उदास है
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