आँख से जो नमी नहीं जाती

By shamsa-najmFebruary 29, 2024
आँख से जो नमी नहीं जाती
ग़म की शिद्दत सही नहीं जाती
इक न इक बात ऐसी होती है
जो किसी से कही नहीं जाती


मेरी तो जान पर बनी हुई है
और तिरी दिल-लगी नहीं जाती
तू मिरे रू-ब-रू न हो जब तक
दिल की हालत कही नहीं जाती


वक़्त यूँ तो गुज़रता जाता है
हिज्र की इक घड़ी नहीं जाती
'उम्र परदेस में गुज़ारी पर
देस की तिश्नगी नहीं जाती


झूट चेहरे पे दर्ज है तेरे
दास्ताँ तक घड़ी नहीं जाती
कर चुका पाश पाश वो दिल को
ग़म की शिद्दत सही नहीं जाती


यूँ मयस्सर मुझे सभी कुछ है
एक तेरी कमी नहीं जाती
रंग ख़ुशबू गुलाब सब कुछ है
दिल की बे-रौनक़ी नहीं जाती


क़स्र-ए-मुनइम सुक़ूत-ए-ख़लवत है
दिल की पर बे-कली नहीं जाती
ये जो तल्ख़ी है उस के लहजे में
'शम्सा' मुझ से सही नहीं जाती


49443 viewsghazalHindi