आँखें उसे ढूँडेंगी तमाशा नहीं होगा

By abrar-ahmadMay 19, 2024
आँखें उसे ढूँडेंगी तमाशा नहीं होगा
वो देखेंगे हम जो कभी देखा नहीं होगा
इक ख़्वाब ज़र-ओ-सीम से घर भर गए सारे
अब कोई यहाँ नींद का मारा नहीं होगा


दिल होगा नहीं होगा किसी याद का मस्कन
सो बाम-ए-तलब पर कोई चेहरा नहीं होगा
हम होंगे नहीं होंगे तिरे शाम-ओ-सहर में
लेकिन तुझे इस बात का धड़का नहीं होगा


ये सर कि भरा होगा फ़रावानी-ए-शब से
फिर ता-ब-अबद दिल में उजाला नहीं होगा
ये ख़्वाब सा मंज़र है बस इक 'उम्र का मेहमाँ
फिर हश्र तलक इस का नज़ारा नहीं होगा


फिर किस लिए हम ज़हमत-ए-उम्मीद उठाएँ
इस शहर में जब कोई भी तुझ सा नहीं होगा
भर जाएँगे इक रोज़ सभी घाव हमारे
ऐ दर्द-ए-मोहब्बत तिरा चारा नहीं होगा


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