आओ हम तय करें क़रार कोई
By sumaira-khalidFebruary 29, 2024
आओ हम तय करें क़रार कोई
उस में रक्खें रह-ए-फ़रार कोई
गर मोहब्बत पे इख़्तियार चले
क्यों करे ख़ुद को बे-क़रार कोई
हर क़दम पर गुमान होता है
फिर पुकारे है बार बार कोई
काएनातें खँगाल डाली हैं
हो न पाया है आश्कार कोई
आँख इक पल नहीं लगाई कहीं
यूँ भी करता है इंतिज़ार कोई
उस में रक्खें रह-ए-फ़रार कोई
गर मोहब्बत पे इख़्तियार चले
क्यों करे ख़ुद को बे-क़रार कोई
हर क़दम पर गुमान होता है
फिर पुकारे है बार बार कोई
काएनातें खँगाल डाली हैं
हो न पाया है आश्कार कोई
आँख इक पल नहीं लगाई कहीं
यूँ भी करता है इंतिज़ार कोई
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