आप को लाख भरम हो कि सुख़न-साज़ी है

By asim-qamarFebruary 25, 2024
आप को लाख भरम हो कि सुख़न-साज़ी है
शे'र अगर ख़ुद पे न गुज़रे हों तो लफ्फ़ाज़ी है
पेट हर दूसरे आ'ज़ा का ख़ुदा है शायद
एक आवाज़ पे बिकने को बदन राज़ी है


घोल रख्खा है यहाँ ज़हर तिरी यादों ने
लोग बिकते हैं पहाड़ों की हवा ताज़ी है
59380 viewsghazalHindi