आयात हिज्र की बयाँ तफ़्सीर की नहीं
By imran-mahmood-maniJune 21, 2021
आयात हिज्र की बयाँ तफ़्सीर की नहीं
दिल पर गुज़रती जो भी वो तहरीर की नहीं
कोई तो भेद होगा ख़मोशी के आस-पास
जलती हुई निगाह ने तक़रीर की नहीं
दस्तक तिरे जमाल ने जब भी ज़ह्न पे दी
उठ कर गले लगा लिया ताख़ीर की नहीं
तुझ को रखा सँभाल के पुतली के दरमियाँ
ओझल कभी निगाह से तस्वीर की नहीं
मैं तो तुम्हारी क़ैद में जीता हूँ रात-दिन
ढीली कभी ख़याल ने ज़ंजीर की नहीं
दिल में रखा तुझे जो तो पूजा है अपना आप
फिर मैं ने अपनी ज़ात की तहक़ीर की नहीं
तेरी जफ़ा की बख़्शी निशानी सँभाल ली
मिटते हुए वजूद की ता'मीर की नहीं
देखा जो पूरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया
मैं ने भी फिर अयाँ कभी ता'बीर की नहीं
वाहिद वजूद तेरे से रौशन है मेरा दिल
तुझ बिन किसी को चाहूँ ये तक़्सीर की नहीं
दिल पर गुज़रती जो भी वो तहरीर की नहीं
कोई तो भेद होगा ख़मोशी के आस-पास
जलती हुई निगाह ने तक़रीर की नहीं
दस्तक तिरे जमाल ने जब भी ज़ह्न पे दी
उठ कर गले लगा लिया ताख़ीर की नहीं
तुझ को रखा सँभाल के पुतली के दरमियाँ
ओझल कभी निगाह से तस्वीर की नहीं
मैं तो तुम्हारी क़ैद में जीता हूँ रात-दिन
ढीली कभी ख़याल ने ज़ंजीर की नहीं
दिल में रखा तुझे जो तो पूजा है अपना आप
फिर मैं ने अपनी ज़ात की तहक़ीर की नहीं
तेरी जफ़ा की बख़्शी निशानी सँभाल ली
मिटते हुए वजूद की ता'मीर की नहीं
देखा जो पूरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया
मैं ने भी फिर अयाँ कभी ता'बीर की नहीं
वाहिद वजूद तेरे से रौशन है मेरा दिल
तुझ बिन किसी को चाहूँ ये तक़्सीर की नहीं
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