अब मैं ख़ुद को याद आना छोड़ दूँ

By ali-tasifJune 3, 2024
अब मैं ख़ुद को याद आना छोड़ दूँ
हाँ ये कार-ए-अहमक़ाना छोड़ दूँ
दर्द लिखना छोड़ दूँ कैसे भला
'उम्र भर का मेहनताना छोड़ दूँ


दाम-ओ-सय्याद-ओ-क़फ़स के ख़ौफ़ से
क्या तलाश-ए-आब-ओ-दाना छोड़ दूँ
आख़िरश इस बात से क्या लूँ मुराद
तुम जो कहते हो ज़माना छोड़ दूँ


याद आना छोड़ दो तुम भी मुझे
मैं तुम्हें भी याद आना छोड़ दूँ
या तो खुल के बोल दूँ या चुप रहूँ
ज़ेर-ए-लब यूँ बड़बड़ाना छोड़ दूँ


बा'इस-ए-रंज-ओ-अलम हैं महफ़िलें
सोचता हूँ आना जाना छोड़ दूँ
39458 viewsghazalHindi