अच्छा है या ख़राब मुझे कुछ पता नहीं
By gyanendra-pathakSeptember 3, 2022
अच्छा है या ख़राब मुझे कुछ पता नहीं
दुनिया तिरा हिसाब मुझे कुछ पता नहीं
मुद्दत से नींद आँखों में आई नहीं मिरी
कहते हैं किस को ख़्वाब मुझे कुछ पता नहीं
उस ने किया सवाल तुझे मुझ से प्यार है
मैं ने दिया जवाब मुझे कुछ पता नहीं
भीतर से मेरे कोई मुझे दे रहा सदा
है कौन ये जनाब मुझे कुछ पता नहीं
आँसू अता किए हैं जो महबूब आप ने
ज़मज़म हैं या शराब मुझे कुछ पता नहीं
इतना पता है क़र्ज़ तिरा मुझ पे है सनम
इस का मगर हिसाब मुझे कुछ पता नहीं
मुझ को कभी भी दिन के उजाले नहीं मिले
कैसा है आफ़्ताब मुझे कुछ पता नहीं
साक़ी न मुझ से पूछ मिरी तिश्नगी की हद
थोड़ी सी दे शराब मुझे कुछ पता नहीं
दुनिया तिरा हिसाब मुझे कुछ पता नहीं
मुद्दत से नींद आँखों में आई नहीं मिरी
कहते हैं किस को ख़्वाब मुझे कुछ पता नहीं
उस ने किया सवाल तुझे मुझ से प्यार है
मैं ने दिया जवाब मुझे कुछ पता नहीं
भीतर से मेरे कोई मुझे दे रहा सदा
है कौन ये जनाब मुझे कुछ पता नहीं
आँसू अता किए हैं जो महबूब आप ने
ज़मज़म हैं या शराब मुझे कुछ पता नहीं
इतना पता है क़र्ज़ तिरा मुझ पे है सनम
इस का मगर हिसाब मुझे कुछ पता नहीं
मुझ को कभी भी दिन के उजाले नहीं मिले
कैसा है आफ़्ताब मुझे कुछ पता नहीं
साक़ी न मुझ से पूछ मिरी तिश्नगी की हद
थोड़ी सी दे शराब मुझे कुछ पता नहीं
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