अफ़्सुर्दगी में रहना मिरा काम भी तो है
By abu-hurrairah-abbasiSeptember 2, 2024
अफ़्सुर्दगी में रहना मिरा काम भी तो है
तर्के में चूँकि गर्दिश-ए-अय्याम भी तो है
बैठें ज़रा जनाब कहाँ आप चल दिए
महफ़िल में ख़ास रात का इक जाम भी तो है
पूरा है एहतिमाम मिरे दिल के वास्ते
महफ़िल में ज़िक्र-ए-यार है और शाम भी तो है
ज़ालिम जो लिख रहा है यहाँ दास्तान-ए-ज़ुल्म
इस दास्तान-ए-ज़ुल्म का अंजाम भी तो है
क़ाज़ी यहाँ पे क्यों न रखे ज़ालिमों की लाज
क़ाज़ी के वास्ते फिर इक इन'आम भी तो है
दुनिया में हर बुराई का ख़त्मा भी साथ है
रावन के साथ साथ यहाँ राम भी तो है
कुछ 'मीर' जी सी हो तो कोई बात भी बने
वर्ना ये शा'इरी यहाँ पर 'आम भी तो है
जो कुछ भी लिख रहा हूँ मैं नोक-ए-क़लम से आज
ये सब ख़ुदा की देन है इल्हाम भी तो है
तर्के में चूँकि गर्दिश-ए-अय्याम भी तो है
बैठें ज़रा जनाब कहाँ आप चल दिए
महफ़िल में ख़ास रात का इक जाम भी तो है
पूरा है एहतिमाम मिरे दिल के वास्ते
महफ़िल में ज़िक्र-ए-यार है और शाम भी तो है
ज़ालिम जो लिख रहा है यहाँ दास्तान-ए-ज़ुल्म
इस दास्तान-ए-ज़ुल्म का अंजाम भी तो है
क़ाज़ी यहाँ पे क्यों न रखे ज़ालिमों की लाज
क़ाज़ी के वास्ते फिर इक इन'आम भी तो है
दुनिया में हर बुराई का ख़त्मा भी साथ है
रावन के साथ साथ यहाँ राम भी तो है
कुछ 'मीर' जी सी हो तो कोई बात भी बने
वर्ना ये शा'इरी यहाँ पर 'आम भी तो है
जो कुछ भी लिख रहा हूँ मैं नोक-ए-क़लम से आज
ये सब ख़ुदा की देन है इल्हाम भी तो है
34067 viewsghazal • Hindi