अहल-ए-दौलत भी कुछ लोग क्या हो गए
By hassaan-arfiOctober 31, 2020
अहल-ए-दौलत भी कुछ लोग क्या हो गए
माल-ओ-ज़र उन के जैसे ख़ुदा हो गए
हाल मत पूछिए मुझ से इस दौर का
लोग यूँ ग़र्क़-ए-मौज-ए-बला हो गए
कारवाँ कैसे महफ़ूज़ रह पाएगा
जो थे रहज़न वही रहनुमा हो गए
जिनकी हर शाम रिंदों में गुज़री कभी
वो भी कुछ रोज़ से पारसा हो गए
वाइ'ज़-ए-मोहतरम को सर-ए-मय-कदा
देख कर लोग हैरत-ज़दा हो गए
अपना हमराज़ समझा हमेशा जिन्हें
वो भी अब मुझ से ना-आश्ना हो गए
दादा 'आरिफ़' की शफ़क़त का ये फ़ैज़ है
तुम जो 'हस्सान' नग़्मा-सरा हो गए
माल-ओ-ज़र उन के जैसे ख़ुदा हो गए
हाल मत पूछिए मुझ से इस दौर का
लोग यूँ ग़र्क़-ए-मौज-ए-बला हो गए
कारवाँ कैसे महफ़ूज़ रह पाएगा
जो थे रहज़न वही रहनुमा हो गए
जिनकी हर शाम रिंदों में गुज़री कभी
वो भी कुछ रोज़ से पारसा हो गए
वाइ'ज़-ए-मोहतरम को सर-ए-मय-कदा
देख कर लोग हैरत-ज़दा हो गए
अपना हमराज़ समझा हमेशा जिन्हें
वो भी अब मुझ से ना-आश्ना हो गए
दादा 'आरिफ़' की शफ़क़त का ये फ़ैज़ है
तुम जो 'हस्सान' नग़्मा-सरा हो गए
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