ऐ दिल हुआ है जैसे मिरे दिल को तू पसंद

By nawab-umrao-bahadur-dilerApril 5, 2022
ऐ दिल हुआ है जैसे मिरे दिल को तू पसंद
आया कोई हसीन न तिरे रू-ब-रू पसंद
टाँके लगाओ हल्क़ पे ख़ंजर को फेर कर
फिर ये कहो हमें है ये तौक़-ए-गुलू पसंद


ईमान से ख़ुदा के लिए तू ही सच बता
वाइज़ किसी को भी है तिरी गुफ़्तुगू पसंद
आफ़त है ज़मज़मा तो ग़ज़ब गटकरी की तान
क्यों हो न मुझ को तुझ सा बुत-ए-ख़ुश-गुलू पसंद


दर्द-ए-फ़िराक़ में दिल-ए-सद-चाक को मिरे
तार-ए-निगाह-ए-यार है बह्र-ए-रफ़ू पसंद
रोज़-ए-अलस्त से हूँ मैं सरशार वाइ'ज़ो
क्यों हो न मुझ को बादा-ओ-जाम-ओ-सुबू पसंद


दर्द-ए-फ़िराक़-ए-दोस्त पे मरते हैं दिल जिगर
दोनों को है बस एक यही आरज़ू पसंद
देखूँगा आँख ऊठा के न मैं हूर की तरफ़
मर कर भी हाँ रहेगी यही आरज़ू पसंद


झूटी मिले शराब जो उस बुत की साक़िया
क्यों हो न ज़ाहिदों को वो बहर-ए-वुज़ू पसंद
अबरू से गो लड़ा कभी तीर-ए-निगाह से
दिल को है मेरे जंग ये ऐ जंग-जू पसंद


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